करवा चौथ की चौथी कथा:
एक ब्राह्मणी की श्रद्धा और भक्ति से उसके पति को मिली नई जिंदगी की प्रेरणादायक कहानी।
यह कथा एक ब्राह्मण परिवार की है। एक ब्राह्मण की पत्नी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। उसने पूरे दिन निर्जल रहकर व्रत का पालन किया और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की।
रात होने पर जब चंद्रमा उदय हुआ, तो उसने चांद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया और फिर भोजन करने बैठी।
लेकिन जैसे ही उसने पहला निवाला लिया, उसे बुरी खबर मिली कि उसके पति की अचानक मृत्यु हो गई है। वह बहुत दुखी हुई और रोते-रोते बेहोश हो गई।
जब उसे होश आया, तो उसने अपने पति को फिर से जीवित करने का संकल्प लिया। उसने अपनी श्रद्धा और तपस्या के बल पर पूरे साल करवा चौथ का व्रत रखा।
अगले साल फिर से करवा चौथ का व्रत आया, और इस बार उसने और भी दृढ़ता के साथ व्रत का पालन किया। उसकी तपस्या और भक्ति को देखकर भगवान यमराज प्रसन्न हो गए और उसके पति को पुनः जीवनदान दिया।
उसकी श्रद्धा और विश्वास के कारण उसका पति दोबारा जीवित हो गया, और तब से करवा चौथ का व्रत पतिव्रता स्त्रियों के लिए अटूट विश्वास और प्रेम का प्रतीक बन गया।
अस्वीकृति (Disclaimer)
NOTE: यह कथाएँ प्राचीन पौराणिक कहानियों से ली गई हैं। इनमें वर्णित घटनाएँ और पात्र सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि या गलतफहमी के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं हैं।
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