Skip to main content

करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 4


 करवा चौथ की चौथी कथा:

एक ब्राह्मणी की श्रद्धा और भक्ति से उसके पति को मिली नई जिंदगी की प्रेरणादायक कहानी।

यह कथा एक ब्राह्मण परिवार की है। एक ब्राह्मण की पत्नी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। उसने पूरे दिन निर्जल रहकर व्रत का पालन किया और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की।


रात होने पर जब चंद्रमा उदय हुआ, तो उसने चांद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया और फिर भोजन करने बैठी।


लेकिन जैसे ही उसने पहला निवाला लिया, उसे बुरी खबर मिली कि उसके पति की अचानक मृत्यु हो गई है। वह बहुत दुखी हुई और रोते-रोते बेहोश हो गई।

जब उसे होश आया, तो उसने अपने पति को फिर से जीवित करने का संकल्प लिया। उसने अपनी श्रद्धा और तपस्या के बल पर पूरे साल करवा चौथ का व्रत रखा।

अगले साल फिर से करवा चौथ का व्रत आया, और इस बार उसने और भी दृढ़ता के साथ व्रत का पालन किया। उसकी तपस्या और भक्ति को देखकर भगवान यमराज प्रसन्न हो गए और उसके पति को पुनः जीवनदान दिया।


उसकी श्रद्धा और विश्वास के कारण उसका पति दोबारा जीवित हो गया, और तब से करवा चौथ का व्रत पतिव्रता स्त्रियों के लिए अटूट विश्वास और प्रेम का प्रतीक बन गया।




अस्वीकृति (Disclaimer)

NOTE: यह कथाएँ प्राचीन पौराणिक कहानियों से ली गई हैं। इनमें वर्णित घटनाएँ और पात्र सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि या गलतफहमी के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं हैं।

Comments

Popular posts from this blog

माँ धूमावती के 7 मंत्र: गरीबी, रोग और शोक से मुक्ति पाने का अद्भुत साधन

 माँ धूमावती, दस महाविद्याओं में से एक , आध्यात्मिक और भक्ति जगत में विशेष स्थान रखती हैं। उन्हें एक वृद्ध विधवा के रूप में दर्शाया गया है, जिनका स्वरूप नकारात्मकता और दुख-दर्द का प्रतीक है।  यदि आप जीवन की कठिनाइयों से घिरे हुए हैं, गरीबी, रोग या मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो माँ धूमावती की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी हो सकता है। आइए, जानते हैं माँ धूमावती के ये 7 मंत्र और उनके प्रभावों के बारे में। माँ धूमावती की उत्पत्ति : प्राणतोषिणी तंत्र में वर्णित एक कथा के अनुसार, देवी सती ने भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति के कारण उन्हें निगल लिया। इस अद्भुत घटना के पश्चात, भगवान शिव ने देवी को मुक्त तो कर दिया, लेकिन उन्होंने क्रोधित होकर देवी को विधवा का श्राप दे दिया। इसी कारण माँ धूमावती का स्वरूप एक विधवा के रूप में दर्शाया जाता है, जो नकारात्मकता को दूर करने का कार्य करती हैं। धूमावती स्वरूप वर्णन: माँ धूमावती को एक वृद्ध और कुरूप विधवा के रूप में चित्रित किया जाता है। वह आभूषणों से परहेज करती हैं और पुराने मलिन वस्त्र धारण करती हैं। उनके अव्यवस्थित के

करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 1

करवा चौथ की पहली कथा: वीरावती की भक्ति और उसके पति की सुरक्षा के लिए किए गए प्रयासों की प्रेरणादायक कहानी। पुराने समय की बात है, वीरावती नाम की एक सुंदर और गुणी स्त्री थी। उसकी शादी एक वीर योद्धा से हुई थी। वीरावती अपने पति से बहुत प्रेम करती थी और शादी के बाद उसने पहला करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लिया। व्रत के दिन उसने सुबह से निर्जल व्रत रखा और पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। दिन बीतता गया, लेकिन वीरावती का शरीर कमजोर होने लगा। भूख और प्यास के कारण उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। उसके भाई अपनी बहन की दशा देखकर परेशान हो गए। वीरावती के भाई अपनी बहन का दर्द नहीं देख पा रहे थे, इसलिए उन्होंने उसे कह दिया कि चांद उदय हो गया है और अब तुम अपना व्रत तोड़ सकती हो। उसके भाई ने पेड़ के पीछे एक आइना रख दिया, जिससे वीरावती को लगा कि चंद्रमा निकल आया है। वीरावती ने बिना कुछ जांचे चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। लेकिन जैसे ही उसने खाना खाया, उसके पति की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी और धीरे-धीरे उसकी मृत्यु हो गई।  वीरावती को जब यह पता चला कि उसने झूठा चांद देखकर अपना

करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 2

  करवा चौथ की दूसरी कथा: करवा की साहसिकता और यमराज के साथ उसकी बातचीत की दिलचस्प कहानी। प्राचीन समय की बात है, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी, जो अपने पति के साथ एक छोटे से गांव में रहती थी। करवा अपने पति से बहुत प्रेम करती थी और अपने पति के कल्याण और लंबी आयु के लिए हमेशा व्रत और उपवास करती रहती थी। एक दिन करवा का पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय अचानक एक मगरमच्छ ने उसे अपने जबड़ों में पकड़ लिया और खींचकर पानी में ले जाने लगा। करवा के पति ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया और अपनी पत्नी करवा को मदद के लिए पुकारने लगा। करवा, जो अपने पति के प्रति अपार प्रेम और भक्ति रखती थी, तुरंत नदी किनारे पहुंची और अपने पति की ये हालत देखकर द्रवित हो गई। करवा ने बिना समय गंवाए, अपने पति को बचाने का संकल्प लिया। उसने अपनी श्रद्धा और शक्ति का प्रयोग करते हुए एक सूती धागे से मगरमच्छ को बांध दिया।  मगरमच्छ बुरी तरह से फंस गया और हिल भी नहीं पा रहा था। इसके बाद करवा ने भगवान यमराज का ध्यान किया और उनसे प्रार्थना की कि वह मगरमच्छ को मृत्युदंड दें, क्योंकि उसने उसके पति की जान लेने की कोशिश की थी