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करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 2

 
करवा चौथ की दूसरी कथा:

करवा की साहसिकता और यमराज के साथ उसकी बातचीत की दिलचस्प कहानी।



प्राचीन समय की बात है, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी, जो अपने पति के साथ एक छोटे से गांव में रहती थी।

करवा अपने पति से बहुत प्रेम करती थी और अपने पति के कल्याण और लंबी आयु के लिए हमेशा व्रत और उपवास करती रहती थी।

एक दिन करवा का पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय अचानक एक मगरमच्छ ने उसे अपने जबड़ों में पकड़ लिया और खींचकर पानी में ले जाने लगा।

करवा के पति ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया और अपनी पत्नी करवा को मदद के लिए पुकारने लगा।

करवा, जो अपने पति के प्रति अपार प्रेम और भक्ति रखती थी, तुरंत नदी किनारे पहुंची और अपने पति की ये हालत देखकर द्रवित हो गई।

करवा ने बिना समय गंवाए, अपने पति को बचाने का संकल्प लिया। उसने अपनी श्रद्धा और शक्ति का प्रयोग करते हुए एक सूती धागे से मगरमच्छ को बांध दिया। 

मगरमच्छ बुरी तरह से फंस गया और हिल भी नहीं पा रहा था। इसके बाद करवा ने भगवान यमराज का ध्यान किया और उनसे प्रार्थना की कि वह मगरमच्छ को मृत्युदंड दें, क्योंकि उसने उसके पति की जान लेने की कोशिश की थी।


भगवान यमराज करवा की पुकार सुनकर प्रकट हुए। यमराज ने करवा से कहा, "हे देवी! तुम्हारे पति की आयु समाप्त हो चुकी है, और अब मैं उसे अपने साथ ले जाने आया हूं।" यह सुनकर करवा को बहुत क्रोध आया।

उसने कहा, "हे यमराज! मेरे पति की आयु चाहे समाप्त हो गई हो, लेकिन मैं एक पतिव्रता नारी हूं। मेरी श्रद्धा और सतित्व की शक्ति के सामने मृत्यु भी झुकती है। अगर आप मेरे पति की आयु नहीं बढ़ाते और इस मगरमच्छ को मृत्युदंड नहीं देते, तो मैं अपने तप और सतित्व के बल पर आपको श्राप दे दूंगी।"

यमराज करवा के सत्य और तप की शक्ति को देखकर विचलित हो गए। उन्होंने करवा की भक्ति और पतिव्रता धर्म के सामने सिर झुका लिया और मगरमच्छ को मृत्युदंड दिया। इसके साथ ही यमराज ने करवा के पति को लंबी आयु का वरदान भी दिया।


करवा और उसके पति का जीवन सुखमय हो गया और वे हमेशा एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे।

तब से करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से रखने वाली स्त्री के पति की आयु लंबी होती है और उनका वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।

अस्वीकृति (Disclaimer)

NOTE: यह कथाएँ प्राचीन पौराणिक कहानियों से ली गई हैं। इनमें वर्णित घटनाएँ और पात्र सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि या गलतफहमी के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं हैं।

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