करवा चौथ की पहली कथा:
वीरावती की भक्ति और उसके पति की सुरक्षा के लिए किए गए प्रयासों की प्रेरणादायक कहानी।
पुराने समय की बात है, वीरावती नाम की एक सुंदर और गुणी स्त्री थी। उसकी शादी एक वीर योद्धा से हुई थी।
वीरावती अपने पति से बहुत प्रेम करती थी और शादी के बाद उसने पहला करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लिया।
व्रत के दिन उसने सुबह से निर्जल व्रत रखा और पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की।
दिन बीतता गया, लेकिन वीरावती का शरीर कमजोर होने लगा। भूख और प्यास के कारण उसकी तबीयत बिगड़ने लगी।
उसके भाई अपनी बहन की दशा देखकर परेशान हो गए। वीरावती के भाई अपनी बहन का दर्द नहीं देख पा रहे थे,
इसलिए उन्होंने उसे कह दिया कि चांद उदय हो गया है और अब तुम अपना व्रत तोड़ सकती हो।
वीरावती ने बिना कुछ जांचे चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। लेकिन जैसे ही उसने खाना खाया, उसके पति की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी और धीरे-धीरे उसकी मृत्यु हो गई।
वीरावती को जब यह पता चला कि उसने झूठा चांद देखकर अपना व्रत तोड़ा था, तो उसे अपनी गलती का पछतावा हुआ।वीरावती ने अपनी भूल सुधारने के लिए अपने पति के शरीर को लेकर व्रत का पालन फिर से पूरे विश्वास के साथ किया।
इस बार उसने सच्चे दिल और श्रद्धा के साथ चांद का इंतजार किया। भगवान शिव, पार्वती और गणेश उसकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर उसके पति को जीवित कर दिया।
तब से करवा चौथ का व्रत स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं, और इस कथा का पाठ व्रत के दिन अवश्य किया जाता है।
अस्वीकृति (Disclaimer)
NOTE: यह कथाएँ प्राचीन पौराणिक कहानियों से ली गई हैं। इनमें वर्णित घटनाएँ और पात्र सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी प्रकार की त्रुटि या गलतफहमी के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं हैं।
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