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ॐॐ शक्तिशाली शनि मंत्र ॐॐ

  "शनि का अर्थ है ग्रह शनि और इसे पुराणों में एक पुरुष देवता के रूप में चित्रित किया गया है। यह हिंदू ज्योतिष में नवग्रहों के रूप में जाने जाने वाले 9 आकाशीय पिंडों में से एक है। इसे आरा, कोना या क्रोध भी कहा जाता है, और हिंदू साहित्य के अनुसार, वह सूर्य (सूरज) और छाया (छाया) का पुत्र है। उसकी प्रतिमा का स्वरूप काला (काला) है और इसे रथ पर चढ़ते हुए, धनुष और बाण लिए हुए, गिद्ध या कौआ पर सवार दिखाया जाता है। शनि नीले फूल और नीलम पहनता है। उसे काले कपड़े पहने हुए, एक तलवार, बाण और दो खंजर पकड़े हुए चित्रित किया गया है। वह लंगड़ा है और उसका एक पैर लंगड़ाता है क्योंकि उसका घुटना बचपन में यम के साथ लड़ाई के दौरान घायल हो गया था। उसका रथ आसमान में धीरे-धीरे चलता है, जिसे पाईबाल्ड घोड़े खींचते हैं। शनि शनिवार का आधार है, जो हिंदू कैलेंडर में सप्ताह के सात दिनों में से एक है। यह दिन शनिवार के लिए है - जो सप्ताह के दिनों के नामकरण के लिए ग्रीको-रोमन परंपरा में शनि के बाद आता है।" वह अशुभ माना जाता है, एक ऐसा देवता जो आसानी से गुस्सा हो जाता है और जो उस परिज्ञान के लिए पूरी तरह से बदला
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लक्ष्मण जी को लेकर माता सीता का मुस्कुराना – जानिए पूरा रहस्य

  लक्ष्मण जी को लेकर माता सीता का मुस्कुराना – जानिए पूरा रहस्य जब महाबली मेघनाथ ने लक्ष्मण जी पर कई दिव्यास्त्रों का प्रयोग किया, तो सभी अस्त्र उनके प्रणाम करते ही वापस लौट गए। लेकिन मेघनाथ को हार मानना कहाँ आता था? उसने शक्ति नामक अजेय अस्त्र का प्रयोग किया, जिससे लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए। पूरी वानर सेना और श्रीराम ये देखकर चिंतित हो उठे। सुसेन वैद्य ने गहरी जाँच के बाद बताया, "लक्ष्मण जी को बचाने का एकमात्र उपाय संजीवनी बूटी है, जो केवल द्रोणागिरी पर्वत पर मिल सकती है। लेकिन समस्या यह है कि संजीवनी सूर्योदय से पहले लानी होगी, वरना लक्ष्मण जी की मृत्यु हो जाएगी।" यह सुनते ही सभी की चिंता बढ़ गई, मानो समय उनके हाथ से निकल रहा हो। त्रिजटा ये दुखद समाचार माता सीता को सुनाने पहुंची। उसे लगा कि माता सीता का दिल टूट जाएगा। लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि खबर सुनते ही सीता मुस्कुराने लगीं! त्रिजटा को यह देखकर और भी हैरानी हुई। उसने हिम्मत जुटाकर पूछा, "माता! लक्ष्मण जी की मृत्यु की बात सुनकर आप हंस क्यों रही हैं?" सीता ने शांत और दृढ़ स्वर में कहा, "जब लक्ष्मण तीनों ल

रविवार को करें ये 7 शक्तिशाली मंत्रों का जाप, मिलेगा राजा जैसा जीवन

  सूर्य देव मंत्र जाप : मान्यता है कि यदि रविवार को सूर्यदेव के कुछ खास मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप और सरल उपाय किए जाएं, तो व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं और उसे जीवन में मान-सम्मान और समृद्धि प्राप्त होती है। सूर्य देव के शक्तिशाली मंत्र सूर्यदेव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन हम प्रत्यक्ष रूप से कर सकते हैं। हिंदू धर्म में सूर्यदेव को पंचदेवों में से एक माना गया है, जो जीवन में सफलता और प्रतिष्ठा के कारक हैं। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है, और इस दिन उनकी पूजा, मंत्र जाप, और कुछ उपाय करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। ग्रहों के राजा सूर्य सूर्यदेव को सभी ग्रहों का स्वामी कहा जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा और आत्मबल को दर्शाता है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, तो वह व्यक्ति समाज में उच्च स्थान प्राप्त करता है और हर जगह उसकी प्रशंसा होती है। वह जीवन में राजा जैसी स्थिति का अनुभव करता है। 7 शक्तिशाली सूर्य मंत्र ऐसी मान्यता है कि रविवार के दिन अगर इन विशेष मंत्रों का सही उच्चारण करके जाप किया जाए, तो जीवन की सभी परेशा

करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 4

  करवा चौथ की चौथी कथा: एक ब्राह्मणी की श्रद्धा और भक्ति से उसके पति को मिली नई जिंदगी की प्रेरणादायक कहानी। यह कथा एक ब्राह्मण परिवार की है। एक ब्राह्मण की पत्नी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। उसने पूरे दिन निर्जल रहकर व्रत का पालन किया और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। रात होने पर जब चंद्रमा उदय हुआ, तो उसने चांद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया और फिर भोजन करने बैठी। लेकिन जैसे ही उसने पहला निवाला लिया, उसे बुरी खबर मिली कि उसके पति की अचानक मृत्यु हो गई है। वह बहुत दुखी हुई और रोते-रोते बेहोश हो गई। जब उसे होश आया, तो उसने अपने पति को फिर से जीवित करने का संकल्प लिया। उसने अपनी श्रद्धा और तपस्या के बल पर पूरे साल करवा चौथ का व्रत रखा। अगले साल फिर से करवा चौथ का व्रत आया, और इस बार उसने और भी दृढ़ता के साथ व्रत का पालन किया। उसकी तपस्या और भक्ति को देखकर भगवान यमराज प्रसन्न हो गए और उसके पति को पुनः जीवनदान दिया। उसकी श्रद्धा और विश्वास के कारण उसका पति दोबारा जीवित हो गया, और तब से करवा चौथ का व्रत पतिव्रता स्त्रियों के लिए अटूट विश्वास और प्रेम का प्रतीक बन गया। अस्वीकृति (D

करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 3

  करवा चौथ की तीसरी कथा: करवा की तपस्या, माता गौरी और भगवान गणेश की कृपा से उसके पति की जीवन वापसी की कहानी। बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। साहूकार की बेटी का नाम करवा था। करवा बहुत ही धार्मिक और पतिव्रता स्त्री थी। शादी के बाद, उसने अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखने का संकल्प लिया। यह व्रत न केवल पति की लंबी आयु के लिए होता है, बल्कि यह स्त्री की भक्ति और समर्पण का प्रतीक भी है। करवा ने व्रत के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर अपना व्रत शुरू किया। उसने पूरे दिन निर्जल रहकर चांद के निकलने का इंतजार किया। लेकिन जैसे-जैसे दिन बढ़ा, करवा की हालत कमजोर होती गई। उसके भाई उसकी स्थिति देखकर बहुत चिंतित हो गए। उन्होंने अपनी बहन के प्रति प्रेम और चिंता व्यक्त की और सोचा कि किसी भी तरह उसे इस कठिनाई से बचाना चाहिए। बाई ने अपने भाईयों से कहा, "हम इसे भूखा और प्यासा नहीं देख सकते। चलो, हम इसे व्रत तोड़ने में मदद करें। इसके बाद भाइयों ने पेड़ पर जाकर एक दीपक जलाया और उसे चांद के रूप में दिखाया। उन्होंने करवा से कहा, "देखो बहन, चांद आ गया है। अब तुम अपना व्

करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 2

  करवा चौथ की दूसरी कथा: करवा की साहसिकता और यमराज के साथ उसकी बातचीत की दिलचस्प कहानी। प्राचीन समय की बात है, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी, जो अपने पति के साथ एक छोटे से गांव में रहती थी। करवा अपने पति से बहुत प्रेम करती थी और अपने पति के कल्याण और लंबी आयु के लिए हमेशा व्रत और उपवास करती रहती थी। एक दिन करवा का पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय अचानक एक मगरमच्छ ने उसे अपने जबड़ों में पकड़ लिया और खींचकर पानी में ले जाने लगा। करवा के पति ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया और अपनी पत्नी करवा को मदद के लिए पुकारने लगा। करवा, जो अपने पति के प्रति अपार प्रेम और भक्ति रखती थी, तुरंत नदी किनारे पहुंची और अपने पति की ये हालत देखकर द्रवित हो गई। करवा ने बिना समय गंवाए, अपने पति को बचाने का संकल्प लिया। उसने अपनी श्रद्धा और शक्ति का प्रयोग करते हुए एक सूती धागे से मगरमच्छ को बांध दिया।  मगरमच्छ बुरी तरह से फंस गया और हिल भी नहीं पा रहा था। इसके बाद करवा ने भगवान यमराज का ध्यान किया और उनसे प्रार्थना की कि वह मगरमच्छ को मृत्युदंड दें, क्योंकि उसने उसके पति की जान लेने की कोशिश की थी

करवा चौथ की 4 अनोखी कथाएं: प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की मिसाल - कथा No. 1

करवा चौथ की पहली कथा: वीरावती की भक्ति और उसके पति की सुरक्षा के लिए किए गए प्रयासों की प्रेरणादायक कहानी। पुराने समय की बात है, वीरावती नाम की एक सुंदर और गुणी स्त्री थी। उसकी शादी एक वीर योद्धा से हुई थी। वीरावती अपने पति से बहुत प्रेम करती थी और शादी के बाद उसने पहला करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लिया। व्रत के दिन उसने सुबह से निर्जल व्रत रखा और पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। दिन बीतता गया, लेकिन वीरावती का शरीर कमजोर होने लगा। भूख और प्यास के कारण उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। उसके भाई अपनी बहन की दशा देखकर परेशान हो गए। वीरावती के भाई अपनी बहन का दर्द नहीं देख पा रहे थे, इसलिए उन्होंने उसे कह दिया कि चांद उदय हो गया है और अब तुम अपना व्रत तोड़ सकती हो। उसके भाई ने पेड़ के पीछे एक आइना रख दिया, जिससे वीरावती को लगा कि चंद्रमा निकल आया है। वीरावती ने बिना कुछ जांचे चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। लेकिन जैसे ही उसने खाना खाया, उसके पति की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी और धीरे-धीरे उसकी मृत्यु हो गई।  वीरावती को जब यह पता चला कि उसने झूठा चांद देखकर अपना